Wednesday, December 31, 2008

हैप्पी न्यू इयर २००९ !

नव वर्ष २००९ की ढेरों शुभ कामनाएं !

काफ़ी दिनों से सोच रहा था की कुछ लिखूं पर लिख नहीं पा रहा था। इधर मुझे Jaundice भी हो गया। अब तबियत सही है। उबला हुआ खाना खाते खाते एक फायदा तो हुआ, और वो ये की वजन कम हो गया। जो जिम की कसरत नहीं कर पायी वो इस बीमारी ने कर दिया। चलो अच्छा ही है। मुझे याद आने लगे फ़िर से वो दिन जो हमने बीआई टी में बिताये। ठण्ड के मौसम में जब तापमान नीचे होता था, तब सुबह कितने लोग नहाते थे ये या तो वो जानते हैं या इश्वर। कई बार तो सिर्फ़ ऊपर का स्वेटर या जैकेट बदल लेते थे तो और क्लास के लिए चल पड़ते। आधे लोग छींक या खांस रहे होते। यूँ तो हॉस्टल में हीटर allowed नहीं होते पर फ़िर भी कहीं नहीं कहीं गर्मी मिल ही जाती थी।

अगर मुझे सही याद है तो शायद १९९५ का नया साल हमने मैथन dam के किनारे पिकनिक मना के बिताया था। कुछ लोगों ने निः वस्त्र होकर मैथन के पास जो नदी थी उसमें फोटो भी खिंचवाया था। एक वाक़या जो मुझे याद आ रहा है वो है श्रीमान आशीष सिन्हा जी का एक १६-१७ साल की एक नव युवती से आंखों ही आंखों में मस्ती का। हुआ यूँ की आशीष साब को वो लड़की काफ़ी देर से निहार रही थी। वैसे वो लड़की इस बात से काफ़ी excited भी थी की लड़कों की पूरी टोली उसे निहार रही है। बेचारी के साथ शायद उसके माता पिता और बाकी लोग भी थे इसलिए वो संभल कर इशारे कर रही थी। जाते जाते उसने एक कागज़ को मोड़ कर आशीष सिन्हा जी की तरफ़ फेंका था। उसमें क्या लिखा था ये तो मुझे याद नहीं। आशीष, अगर तुमने वो कागज़ संभल कर रखा हो तो हमें बताना!

ठण्ड का मौसम काफ़ी रोमांटिक हुआ करता है। सुबह चारों तरफ़ कोहरा। अपने हथेलियों को आपस में रगड़ते हुए चाय पीने जाना या फ़िर सुबह का नाश्ता करने जाना मुझे अच्छी तरह याद है। मुझे याद है शुरुआत में मुझे ठण्ड के मौसम में सिगरेट पीना अच्छा लगा। पर एक आध सिगरेट के बाद सर घूम जाता था। इसलिए ज्यादा दिन नहीं चला। शहर्पुरा के रास्ते में आंबेडकर जी के मूर्ती के पास जो wine शॉप था वहां से कभी कभार व्हिस्की, बियर या रम की bottle आ जाती थी। वैसे कुछ लोग अपने रूम में ही कोटा रखते थे।

एक बार फ़िर सबको नव वर्ष की शुभ कामनाएं! इश्वर आप सब की मनो कामना पूरी करे। आपके बीवी बच्चे फलें फूलें। कारोबार में तरक्की हो। इस मंदी में आपकी नौकरी सुरक्षित रहे। ऐश करें।

( क्रमशः )

3 comments:

Amit said...

This is one of the best blogs I have read - am really happy to start my new year with such a nice blog and "100 years of solitude" toned narrative :-)

Keertikesh P said...

Amit, I have seen several of your notebooks at BIT and always knew that you have ability to write well. Now it is your power of expression, that is blooming. You have a hidden writer within you. Keep writing.

चुनावी गप्प said...

ब्लागर की दुनिया में आपका स्वागत है। प्रयास अच्छा है। लिखते रहिए। वक्त मिले तो चुनावी चकल्लस के लिए कृपया http://chunavigupp.blogspot.com पर भी आएँ।